नमस्कार दोस्तों आज हम जानेगे Dhanteras 2019. धनतेरस 2019 I धनतेरस पूजन विधि I धनतेरस की कथा [Dhanteras Puja Vidhi Dhanteras Ki Katha] धनतेरस कब तथा क्या है? धनतेरस का महत्व। धनतेरस के बारे में l Dhanteras In Hindi. धनतेरस के टोटके तथा धनतेरस मंत्र क्या है?
धनतेरस कब है 2019 में (Dhanteras 2019)? धनतेरस कब मनाया जाता है?:
धनतेरस का त्योहार 25 अक्टूबर 2019, शुक्रवार को पूरे भारत में मनाया जाएगा। धनतेरस का मुहूर्त 25 अक्टूबर को शाम 07:08 से 08:13 बजे तक रहेगा, जो 1 घंटे 5 मिनट तक चलेगा। प्रदोष काल के हिसाब से ये शाम 5:38 बजे से लेकर 08:13 बजे तक चलेगा। और वृषभ काल के हिसाब से ये शाम 06:50 बजे से लेकर 08:45 बजे तक चलेगा। त्रयोदशी तिथि 25 अक्टूबर 2019 को शाम 07:08 बजे प्रारंभ हो जाएगी और 26 अक्टूबर 2019 को दोपहर 03:46 बजे तक रहेगी।
धनतेरस को पांच दिवसीय त्योहार, दिवाली के पहले दिन मनाया जाता है। यह अश्विनी के विक्रम संवत हिंदू कैलेंडर महीने में कृष्ण पक्ष के तेरहवें चंद्र दिवस पर मनाया जाता है।
दोस्तों आप ये तो जान गए है कि धनतेरस कब मनाया जाता है तथा धनतेरस कब है 2019 में। लेकिन दोस्तों अगर आप धनतेरस के बारे में अर्थात धनतेरस क्या है नहीं जानते तो दोस्तों आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं। तो चलिए दोस्तों बात करते है कि धनतेरस क्या है?
धनतेरस क्या है? धनतेरस के बारे में l Dhanteras In Hindi.
धनतेरस भारतीय दिवाली और नेपाली तिहार महोत्सव का पहला दिन है। त्योहार को “धनत्रयोदशी” या “धन्वंतरी त्रयोदशी” के रूप में भी जाना जाता है। ‘धन’ का अर्थ है सम्पत्ति और ‘तेरस’ कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन को दर्शाता है। इस दिन लोग लक्ष्मी पूजा में शामिल होते हैं यानी वे देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। यह हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि देवी लक्ष्मी दिवाली के पहले दिन अर्थात धनतेरस पर अपने घर आती हैं और उन्हें सुख, समृद्धि, धन और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देती हैं ।
धनतेरस को धनत्रयोदशी के रूप में भी जाना जाता है और पूजा को धनत्रयोदशी पूजा के रूप में जाना जाता है जिसमें लोग माता लक्ष्मी के साथ भगवान कुबेर जी की भी पूजा करते हैं। पूजा लगभग 2 घंटे तक जारी रहती है जहाँ आरती, मंत्र और भक्ति गीत भी गाये जाते हैं। पूजा को छोटे दीयों के साथ आयोजित किया जाता है जो बुराई पर अच्छाई की जीत को प्रदर्शित किया जाता हैं।
दोस्तों हमने जाना कि धनतेरस कब है 2019 में? और साथ ही साथ धनतेरस क्या है तथा धनतेरस कब मनाया जाता है के बारे में भी बात की। तो अब बात करते है कि धनतेरस का महत्व और पूजन विधि, धनतेरस क्यों मनाया जाता है तथा धनतेरस के टोटके तथा मंत्र क्या है? और साथ ही साथ धनतेरस कैसे मनाया जाता है के बारे में भी जानेंगे। तो चलिए सबसे पहले धनतेरस के महत्व के बारे में बात करते है।
धनतेरस का महत्व:
हिन्दू समाज में धनतेरस का विशेष महत्व माना जाता है। ये एक ऐसा त्यौहार है जिसमें लोग भारी मात्रा में धनतेरस पर धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। माना जाता है कि यदि आप आभूषण, रत्न और धातु के घरेलू उत्पाद जैसे मूल्यवान उत्पाद खरीदते हैं तो आप प्रभावी रूप से अपने घर में लक्ष्मी या धन ला रहे हैं। तो आने वाला वर्ष आपके घर और आपके जीवन में समृद्धि लाएगा। भारतीय व्यापार समुदाय हमेशा धनतेरस को कुछ मूल्यवान खरीदकर मनाता है जिसे पूरे वर्ष में रखा जाता है।
धनतेरस क्यों मनाया जाता है? धनतेरस की कथा क्या है?
धनतेरस क्यों मनाया जाता है संदर्भ से कई कथाएं जुड़ी है। दोस्तों धनतेरस ऐसा त्यौहार है जिसे पूरे भारत में घर में लक्ष्मी लाने के लिए मनाया जाता है। तो दोस्तों धनतेरस क्यों मनाया जाता है अर्थात धनतेरस की कथा को जान लेते है।
धनतेरस की कथा #1
दोस्तों माना जाता है कि धन त्रयोदशी के दिन देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान दूध के सागर से निकली थीं। इसलिए, त्रयोदशी के दिन भगवान कुबेर के साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है।
धनतेरस की कथा #2
एक प्राचीन किंवदंती ने इस अवसर का वर्णन राजा हेमा के 16 वर्षीय बेटे के बारे में एक दिलचस्प कहानी के रूप में किया है। उनकी कुंडली में उनकी शादी के चौथे दिन सांप के काटने से उनकी मृत्यु की भविष्यवाणी की गई थी। उस विशेष दिन पर, उसकी नवविवाहित पत्नी ने उसे सोने नहीं दिया। उसने अपने सभी गहने और बहुत सारे सोने और चांदी के सिक्कों को सोते हुए कक्ष के प्रवेश द्वार पर रख दिया और सभी जगह दीपक जलाया। फिर उसने कहानियाँ सुनाना प्रारंभ किया और अपने पति को नींद आने से बचाने के लिए गाने गाए। अगले दिन, जब एक सर्प के रूप में राजकुमार के दरवाजे पर देवाहार के देवता यम आए, तो उनकी आंखें गहनों की चमक से चकाचौंध हो गईं। यम राजकुमार के कक्ष में प्रवेश नहीं कर सकता था, इसलिए वह सोने के सिक्कों के ढेर के ऊपर चढ़ गया और पूरी रात वहाँ बैठकर कथाएँ और गीत सुनता रहा। सुबह वह चुपचाप चला गया। इस प्रकार, युवा राजकुमार को अपनी नई दुल्हन की चतुराई से मौत के चंगुल से बचाया गया, और वह दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाने लगा।
धनतेरस की कथा #3
एक अन्य लोकप्रिय कथा के अनुसार, जब देवताओं और दानवों ने अमृत के लिए समुद्र मंथन किया, तो धन्वंतरि के दिन धन्वंतरि (देवताओं का चिकित्सक और विष्णु का एक अवतार) अमृत लेकर आया। इसीलिए इस दिन को धन्वंतरि के तौर पर भी मनाया जाता है।
अगले दिन को नारका चतुर्दशी कहा जाता है ‘नारका’ का अर्थ है नरक और चतुर्दशी का अर्थ है 14 वां । इसे ‘यमदीपदान’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि घर की महिलाओं को मिट्टी के दीये दिए जाते हैं और इन्हें रात भर यम, मृत्यु के देवता की महिमा करते हुए जलाए रखा जाता है। चूंकि यह दिवाली से पहले की रात है, इसलिए इसे ‘छोटी दिवाली’ या छोटी दीपावली भी कहा जाता है।
धनतेरस कैसे मनाया जाता है? धनतेरस के दिन हम क्या करते है?
धनतेरस के दिन, व्यावसायिक परिसरों का नवीनीकरण और सजावट की जाती है। धन और समृद्धि की देवी का स्वागत करने के लिए प्रवेश द्वार को लालटेन और रंगोली डिजाइन के साथ रंगीन चित्र बनाया जाता है। धनतेरस के लंबे समय से प्रतीक्षित आगमन को इंगित करने के लिए, पूरे घरों में चावल के आटे और सिंदूर पाउडर के साथ छोटे पैरों के निशान बनाए जाते हैं। रात भर दीपक जलते रहते हैं।
धनतेरस पर हिंदू सोने या चांदी के लेख या कम से कम एक या दो नए बर्तन खरीदना शुभ मानते हैं। यह माना जाता है कि नया “धन” या कीमती धातु का कोई रूप, सौभाग्य का प्रतीक है। “लक्ष्मी पूजा” शाम को की जाती है, जब मिट्टी के छोटे दीये बुरी आत्माओं की छाया को दूर भगाने के लिए जलाए जाते हैं। “भजन” देवी लक्ष्मी की प्रशंसा में भक्ति गीत भी गाए जाते हैं। दक्षिण भारत, विशेष रूप से तमिलनाडु में, ब्राह्मण समुदाय की महिलाएं ‘मरुन्धु’ बनाती हैं, जो नारका चतुर्दशी यानी धन्वंतरि त्रयोदशी की अगली संध्या पर दवा में बदल जाती है। मारुन्धु को प्रार्थना के दौरान चढ़ाया जाता है और सुबह सूर्योदय से पहले नारका चतुर्दशी के दिन खाया जाता है। वास्तव में, कई परिवार अपनी बेटियों और बहूओं को मारुंधु के व्यंजन भी सौंपते हैं। मारुन्धु जो बनने के बाद च्यवनप्राश की तरह दिखता है, शरीर में त्रिदोषों के असंतुलन को खत्म करने के लिए सेवन किया जाता है।
धनतेरस को पूरे भारत में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। देवी लक्ष्मी की प्रशंसा में भजन, भक्ति गीत गाए जाते हैं और देवी को पारंपरिक मिठाइयों का “नैवेद्य” चढ़ाया जाता है। महाराष्ट्र में एक अजीबोगरीब रिवाज है जिसमें सूखे धनिया के बीज धनेत्रयोदशी के लिए मराठी में धेन को गुड़ के साथ नैवेद्य के रूप में चढ़ाया जाता है।
धनतेरस की पूजा विधि क्या है? Dhanteras Puja Vidhi -:
धनतेरस या धनत्रयोदशि पर लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल के दौरान की जाती है जो सूर्यास्त के बाद शुरू होती है और लगभग 2 घंटे तक रहती है।
हमें चोगड़िया मुहूर्त में धनतेरस पूजा नहीं करनी चाहिए क्योंकि मुहूर्त केवल यात्रा के लिए अच्छे होते हैं। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे अच्छा समय प्रदोष काल के दौरान होता है, जब शनि लग्न प्रबल होता है। यदि धनतेरस पूजा, शनि लगन के दौरान की जाती है, तो लक्ष्मी जी आपके घर में रहेंगी इसलिए यह समय धनतेरस पूजन के लिए सबसे अच्छा है।
जैसे कि आप जान ही गए होंगे कि धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती है। तो ऐसे में आपको बहुत ज्यादा पूजा सामग्री की आवश्यकता नहीं होती है। आपको कुछ सामान्य सामग्री की आवश्यकता होगी जैसे – चावल, आटा, सिंधुर, आसान, फूल, घंटी, माता लक्ष्मी और कुबेर जी की प्रतिमाएं, धूप, अगरबत्ती, मोली, दिए, जौ, दूध, घी,गंगाजल, गौमुत्र, गोबर, मिट्टी, हल्दी तथा गणेश जी की छोटी सी मूर्ति तथा पूजा के लिए एक छोटी सी किताब। दोस्तों हो सकता है कुछ और भी ऐसी सामग्री हो जो विशेष स्थान पर विशेष रूप से उपयोग की जाती हो।
दोस्तों धनतेरस की पूजा करने के लिए आपको 1 छोटी सी किताब को खरीदना होगा जिसमें इस पूजा से जुड़े मंत्र लिखे होंगे। हम धनतेरस पूजा मंत्र की बात आगे करेंगे। आप चाहे तो स्वयं भी पूजा कर सकते है या अपने पंडित जी से भी पूजा करवा सकते है। दोस्तों जो भी किताब आप लेंगे उसमें कुछ अन्य सामग्री भी लिखी हो सकती है तो इस बात का ध्यान रखें कि सामग्री उतनी ही खरीदें जितनी आवश्यकता हो। अन्य सामग्री में व्यर्थ खर्च ना करें।
धनतेरस के टोटके क्या है? Dhanteras Ke Totke
धनतेरस के टोटके से अभिप्राय उन विशेष कार्यों को करने से है जिनकी सहायता से आप धनतेरस के शुभ मुहूर्त पर अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते है। धनतेरस मंत्र जानने से पहले इन धनतेरस के टोटकों को जान लेते है।
धनतेरस के टोटके #1
धनतेरस के दिन आपको ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त से अभिप्राय सूरज की उगने से करीब 2 घंटे पहले है। दोस्तों यदि आप धनतेरस की दिन सूरज उगने से 2 घंटे पहले उठते है तो माना जाता है कि लक्ष्मी माता जल्दी ही प्रसन्न हो जाती है।
धनतेरस के टोटके #2
धनतेरस के दिन आपको घर में नए बरतनों को लाना चाहिए। माना जाता है कि धनतेरस के दिन घर में नए बरतनों को लाने से घर में लक्ष्मी का प्रवेश होता है।
धनतेरस के टोटके #3
पुष्प, अक्षत से यमराज का पूजन करें तथा दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके यम से निम्न प्रार्थना करें-
मृत्युना दंडपाशाभ्याम् कालां श्यामय सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रयोज्यं मम।
धनतेरस के टोटके #4
अगर संभव हो तो घर, बगीचा, पशु स्थल, कुआ तथा पूजा स्थल पर दीपक जलाए। माना जाता है कि यदि आप धनतेरस पर इन सभी जगहों पर दीपक जलाते है तो आप यमराज के प्रकोप से बच सकते है।
धनतेरस के टोटके #5
दोस्तों यदि संभव हो तो ऐसी मिट्टी जिसमें हल चलाया गया हो, को दूध में भिगोकर, उसमे सेमर की शाखा डाल कर अपने शरीर पर 3 बार घुमाएं। माना जाता है ऐसा करने से आप आने वाली समस्याओं से बच जाते है।
धनतेरस मंत्र क्या है?
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रण भूर्य भर। भूरिरेदिन्द्र दीक्षा।
पुर भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरुत्र शूर वृत्रहं। आ नो भजस्व राधसि ।
ऊपर दिए गए मंत्र की मदद से आप बहुत सी परेशानियों से छुटकारा पा सकते है। इस मंत्र का जाप करते हुए आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान देना होता है। जैसे कि
- इन मंत्रों का उच्चारण बिना स्नान किए नहीं करना चाहिए।
- इस मंत्र का उच्चारण ज़ोर से नहीं करना चाहिए अर्थात मंत्रों का उच्चारण मन में करना चाहिए।
- इस मंत्र का उच्चारण हमेशा सुबह या शाम को करना चाहिए।
- इस मंत्र का उच्चारण हमेशा पूजा स्थल पर ही करना चाहिए।
- इस मंत्र का जाप हर सुबह – शाम या किसी विशेष त्यौहार पर (जैसे कि धनतेरस पर) निरंतर अपनी क्षमता के अनुसार करना चाहिए।
- इस मंत्र के उच्चारण के बीच में बोलना नहीं चाहिए।
- इस मंत्र का उच्चारण माला को हाथ में लेकर करना चाहिए।
दोस्तों इन नियमों का पालन करने के साथ आप इस मंत्र का उच्चारण कर सकते है। आप जितनी बार चाहे उतनी बार उच्चारण कर सकते है।
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दोस्तों सबसे पहले हमने Dhanteras 2019. धनतेरस 2019 I धनतेरस पूजन विधि I धनतेरस की कथा [Dhanteras Puja Vidhi Dhanteras Ki Katha] के बारे में बात की। तथा उसके बाद धनतेरस के बारे में अर्थात धनतेरस क्या है, धनतेरस का महत्व, धनतेरस को क्यों मनाया जाता है तथा धनतेरस को कैसे मनाया जाता है के बारे में जाना। और अंत में धनतेरस पूजन विधि – 2019 धनतेरस पूजा, धनतेरस के टोटके तथा धनतेरस मंत्र क्या है? के बारे में बात की। तो दोस्तों आशा करता हूं आप जान गए होंगे कि Dhanteras 2019. धनतेरस कब तथा क्या है? धनतेरस का महत्व। धनतेरस के बारे में l Dhanteras In Hindi. धनतेरस के टोटके तथा धनतेरस मंत्र क्या है?
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Dhanteras ki post likhne ka yah kaun sa time hai.