ईस्टर संडे क्यों मनाया जाता है ? क्या है ईस्टर डे या ईस्टर त्योहार की कहानी ?
नमस्कार दोस्तों, आज हम बात करने वाले हैं ईसाई धर्म के त्यौहार ईस्टर के बारे में. ईस्टर संडे क्यों मनाया जाता है ? क्या है ईस्टर डे या ईस्टर त्योहार की कहानी ? ईस्टर क्या है ? ईस्टर डे कब मनाया जाता है ? इसके बारे में हम विस्तार से बात करेंगे और जानेंगे कि ईस्टर डे में क्या खास बात है ?
कहते हैं भारत त्योहारों का देश है यहां पर आए दिन देश के किसी न किसी कोने में कोई ना कोई त्योहार जरूर मनाया जाता है. त्योहारों के आने से हमें एक दूसरे से मिलने का मौका मिलता है और खुशी का अनुभव होता है. भारत में हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी धर्मों के लोग मिल जुल कर रहते हैं और सभी धर्मों के त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं.
ईस्टर त्योहार मुख्य रूप से ईसाई लोगों द्वारा मनाया जाता है. इस दिन बाजारों में पूरी चकाचौंध होती है. चर्च को शानदार तरीके से सजाया जाता है और उनमें पूरे दिन घंटियों की आवाज सुनाई देती है.

ईस्टर संडे क्यों मनाया जाता है ? क्या है ईस्टर डे या ईस्टर त्योहार की कहानी ?
क्या है ईस्टर डे या ईस्टर संडे की कहानी ?
ईसाई लोगों तथा उनके धर्म ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी पर भगवान के पुत्र यानी ईसा मसीह के चमत्कारों से भयभीत होकर गवर्नर पिलातुस ने ईसा मसीह को यरुशलम के पहाड़ पर सूली पर चढ़ा दिया था. इससे पहले रोनी सैनिकों ने ईसा मसीह को कोड़ों से खूब मारा, उनके सर पर कांटे कांटे लगाए गए, उनके ऊपर गंदगी डाली गई. इतना सब कुछ होने के बाद सैनिकों ने उनकी पीठ पर क्रूस बांधकर ईसा मसीह को पहाड़ी पर जाने के लिए कहा गया. ईसा मसीह के पहाड़ी पर आने के बाद उनको उन्हीं के क्रूस पर लटका दिया गया.
उस समय ईसा मसीह में उन सैनिकों के लिए ईश्वर से कहा ‘हे पिता परमेश्वर, इन लोगों को माफ करना, क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं.’
ईसा मसीह की मौत के बाद इनको कब्र में दफना दिया गया. कब्र में दफनाए जाने के 3 दिन बाद मैरी मग्दलेना व अन्य महिलाएं इनकी कब्र पर श्रद्धांजलि देने पहुंची.
जब यह महिलाएं समाधि के पास पहुंची तो उन्होंने देखा कि समाधि का पत्थर किसका हुआ है और कब्र बिल्कुल खाली है.
मैरी मग्दलेना को समाधि के अंदर दो दूत दिखे. इन्होने मग्दलेना को ईसा मसीह के जिंदा होने का शुभ समाचार दिया. जिस दिन यह सब हुआ उस दिन रविवार यानी कि संडे का दिन था. प्रभु यीशु ने खुद 40 दिनों तक हजारों लोगों को अपने दर्शन दिए. इसी वजह से इस दिन का नाम ईस्टर डे रखा गया.
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क्या खास होता है ईस्टर डे के दिन ?
ईस्टर डे के दिल घरों में असंख्य मोमबत्तियां जलाई जाती है और अपने चाहने वालों को भी मोमबत्तियां बांटी जाती है ऐसा करके भगवान यीशु को याद किया जाता है. ईस्टर डे से 1 दिन पहले धार्मिक परंपराएं रात्रि जागरण इत्यादि किए जाते हैं. इस दिन को खजूर इतवार दिन भी कहा जाता है. ईस्टर की पूजा मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा की जाती है क्योंकि पुनर्जन्म के समय सबसे पहले ईसा मसीह अपने दर्शनमरियम मगदलीनी नामक महिला को दिए थे.
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